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आखर मधुर मनोहर दोऊ,
बरन बिलोचन जन जिय जोऊ,
सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू,
लोक लाहु परलोक निबाहू।
बरन बिलोचन जन जिय जोऊ,
सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू,
लोक लाहु परलोक निबाहू।
दोनों अक्षर मधुर और मनोहर हैं , जो वर्णमाला रूपी शरीर के नेत्र हैं ।
भक्तों के जीवन है, तथा स्मरण करने में सबके लिए सुलभ और सुख देने वाले हैं।
और जो इस लोक में लाभ और परलोक में निर्वाह करते हैं।
भक्तों के जीवन है, तथा स्मरण करने में सबके लिए सुलभ और सुख देने वाले हैं।
और जो इस लोक में लाभ और परलोक में निर्वाह करते हैं।
- आखर हिंदी पत्रिका हिंदी साहित्य एवं भाषा की सेवा में हिन्दी की एक साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक ऑनलाइन पत्रिका है। आखर ई पत्रिका भाषा, साहित्य एवं कला विमर्श के लिए एक स्वतंत्र मंच है जो निःस्वार्थ साहित्य सृजन एवं समीक्षा के यज्ञ में सहभागी है। इस पत्रिका का प्रकाशन 2021 से प्रारम्भ किया जा रहा है ।
- इस आखर हिंदी पत्रिका के प्रकाशन का उद्देश्य हिन्दी साहित्य के साहित्यकारों एवं नव लेखकों को एक साहित्यक मंच प्रदान करना एवं सृजन के प्रत्येक क्षेत्र में विमर्श, मीमांसा एवं समीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विषयों को पाठकों के समक्ष रखना है।
- इस आखर हिंदी पत्रिका में शोध आलेखों के साथ – साथ हिन्दी की अन्य विधाओं जैसे कविता, कहानी, लेख, संस्मरण, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार आदि को भी स्थान दिया जा रहा है। इसके अलावा इसमें मीडिया, संस्कृति समसामायिक विमर्श, अनुवाद, लोक साहित्य एवं प्रवासी साहित्य आदि विषय भी रखे गए हैं ।
- मुझे आशा एवं विश्वास भी कि आखर हिंदी पत्रिका हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विकास में अपना विशेष स्थान ग्रहण करेंगी । साथ ही मुझे विश्वास है कि आप सभी विद्वानों, साहित्यकारों का प्रेम, परामर्श, सहयोग एवं स्नेह हमें निरंतर प्राप्त होता रहेगा।आखर ई पत्रिका अपने वैश्विक दृष्टिकोण के मुद्दे नज़र लोक साहित्य और संस्कृति की एक अंतराष्ट्रीय पत्रिका है।
– डॉ. प्रतिभा मुदलियार
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